तेरे चमन का फूल छोटा , विसात मेरी है यही ।
इससे अधिक मैं कुछ नहीं,सच्चाई जीवन की यही।।
रंग ,रूप , विशिष्ट खुशबू , तूंने दिया मेरा नहीं ।
तुमने बनाया है मुझे, मेरा बनाया कुछ नहीं ।।
तेरी बनाई चीज को, हमने तो बस अपना लिया।
अधिकार था तेरा अकेला ,हम बेवजह अपना लिया।।
लोभ ,मोह, भ्रमजाल ने , ऐसा मुझे है फंसा लिया ।
मैं कहीं का रह न पाया ,नजरोंसे सब का गिरा दिया ।।
तेरे चमन का फूल हूं, पर किस्मत हमारी साथ तेरे।
उड़ता पतंग मैं आसमान का ,पर डोर मेरा साथ तेरे।।
उड़ जाऊं नभ में और ऊंचा,या कटकहीं गिर जाऊंगा।
गिर भी पड़ा पर तो कहां,कह भी नहीं मैं पाऊंगा ।।
जब डोर तेरे पास मेरा , फिक्र फिर मैं क्यों करूं ?
जो भी करोगे तुम करोगे , मैं ब्यर्थ चिन्ता क्यों करूं??
घुमाओगे चाहे जिधर ,निर्भीक उधर घुम जाऊंगा ।
व्यर्थ सोंचा क्यों करूं मैं, तेरे कहे को निभाऊंगा।।
डाल से जब तोड़डाले, तो फूल क्या रह पायेगा ।
जहां चढ़ा दो वह वहां , चुपचाप ही चढ़ जायेगा ।।
लाख डींगें मार ले कोई , उससे न कुछ हो पायेगा ।
जो लाख होशियारी करे, एक दिन पकड़ में आयेगा।।
गुनाह तो छिपता नहीं, भेद सब खुल जायेगा।
कोशिश करे कोई लाख पर,खुलना ही है खुल जायेगा।
यह हाल सारे पुष्प का ,है अलग कुछभी नहीं ।
चाहे खिले उद्यान में या , वियवान में चाहे कहीं।।