जलन चांद को होती होगी.

देख कभी मेरी महबूबा को,जलन चांद को होती होगी।

देख धरा का चांद, चांद को, ईर्ष्या भी होती होगी ।।

दुनिया वाले आसमान का, चांद सभी देखा होगा ।

मेरी महबूबाको देख उसे,यकी न खुदपर होता होगा।।

हैचांद अकेला सबको पता,जब नजरदूसरा आयाहोगा

घूंघट में कैसे छिपा है आकर,समझ नहीं पाया होगा ।।

भ्रम में पड़ा हुआ होगा वह,गजब माजरा लगता होगा।

चांद छिपा है घूंघट में,मन भ्रमित उसे करता होगा ।।

जो देखा,कहना भी मुश्किल,चुप रहना मुश्किल होगा।

सच बोलूंतो बनूं दीवाना,रह मौन दीवाना बनना होगा।।

कौन है सुंदर ज्यादा उनमें,कहना तो मुश्किल होगा।

कमी नहीं दिखती कोईमें,फर्क बताना मुश्किल होगा।।

सुन्दरता का अंत नहीं है,अंत नहीं इसका होगा ।

विधाताकब क्याचीज बनादे,कहना अतिमुश्किल होगा

जिसने भी हो चांद बनाया, उसने ही इसे गढ़ा होगा ।

चाहे जिसको जैसा रच दे,जाने जब जो चाहा होगा।।

पर सत्य यह है इतनी ,जब भी वह इसे बनाया होगा ।

चयन किया होगा सूरतजब,पहले कितना सोंचाहोगा।।

कहते कभी रचयिता रच कुछ,स्वयं चकित होता होगा।

इसे रचा क्या है उसने ही,स्तंभित होता होगा ।।

धन्य रचयिता क्या रचता तूं,किसीको नहीं पता होगा।

क्या मकसद है तेरा इसमें,कोई अन्यनहीं सोंचा होगा।।

एक उत्तर दें

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  बदले )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  बदले )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  बदले )

Connecting to %s