दिल से दुआ देता कोई , तो कोई बददुआ देता ।
एक ही काम से कोई खुश, तो कोई रुष्ट हो जाता ।।
नहीं संसार में ऐसा , कोई इन्सान हो सकता ।
जिससे हर कोई उससे , सदा प्रशन्न ही रहता ।।
बनाया जो भी हो इन्सान में, मेधा भरा ज्यादा ।
शक्ति सोचने की दी अधिक ,हर जीव से ज्यादा।।
सबमें बराबर एक सा , गुण हो नहीं सकता ।
किसी में कुछ किसी में कुछ,फर्क रह ही सदा जाता।।
प्रवृति होती अलग , हर व्यक्ति की अपनी ।
ढ़ंग सोचने का भी अलग ,सबकी ही है अपनी।।
होना भिन्नता मत में , बुराई तो नहीं होती ।
बल्की प्रजातंत्र की गुत्थियां , मजबूत ही होती।।
हर दृष्टि से कोई चीज को , सोंची कभी जाती ।
गहन मंथन से उसके क्रीम भी, उपर चली आती।।
बहुत आसान हो जाता , मनुज का फैसला लेना।
सारे तरह से दुरुस्त , सुंदर फैसला देना ।।
क्रीम की भांति निकल , निकल उपर चला आता ।
मंथन कर लिये गये फैसला , सुंदर अति होता ।।
कर दें लाख पावन कर्म , बहाना मिल ही कुछ जाता।
आलोचना गढ़ आप पर, मढ़ ही दिया जाता ।।
मुकाबला इसका है डट कर, आपको करना ।
पथ में आये गढ़ बाधा , तो भिड़ उससे निपट लेना ।।