कोरोना से लड़ने वालों , तेरा जय हो जाये ।
कोरोना के निर्माताओं , तेरा क्षय हो जाये ।।
तुम संसार का शत्रु, प्रबल बड़े निकले ।
नीचता में आजतक का ,सर्व-प्रथम निकले।।
पामरता की सारी हद को , तुमने तोड़ दिया ।
संसार के सारे मानव को, मरने को छोड़ दिया।।
ऐ बुद्ध धर्म अनुयायी , ये कैसे कर डाला ।
अगिनत नरमुंडों का माला ,गले अपने डाला ।।
इतनी हत्या कहीं आजतक , नहीं किसी ने करवायी ।
इतिहास सदा तुमपर थूकेगा ,जैसा तूंने करवाया ।।
जबतक यह संसार रहेगा , काला तेरा नाम रहेगा।
अनगिनत पुश्त तुम्हे कोसेगा,नाम तेरा बदनाम करेगा।
ऐ अधम तुम्हेंक्या नहीं पता,तुम पामरता कीहद करदी
सारे निर्देशों की तूंने , कैसे निर्मम हत्या कर दी।।
सारी निरीह जनता की आहें,तुम कैसे झेल सकोगे?
बददुआ की लपटें सब की , कैसे सह पाओगे ??
बददुआ जलाती बड़े-बड़ों को , नहीं किसी को छोड़ा।
छूट गये सिंहासन नृप के,सेवक बना कर छोड़ा ।।
दुआ और बददुआ असर, सब पर ही करता है ।
सब कुछ रहते भी मौके पर, काम नही करता है ।।
अपने जीवन में गौर करो , नजर तुम्हे आयेगा ।
ईर्द-गीर्द की घटनाओं से , समझ तुमको आयेगा।।