करनी दोस्ती गाढ़ी , कभी दुखदाई भी होती ।
निभाना ही इसे ताउम्र , बहुत कठिनाई भी होती।।
यूं दोस्त राहों में कभी , चलते भी मिल जाते ।
चाहे चाहिए जितना ,अधिक उससे भी मिल जाते।।
जितने लोग मिल जाते, सभी क्या मित्र बन जाते?
बनाना दोस्त तो आसां , निभाना पर कठिन होते ।।
नहीं जो मित्र होते हैं होते , शत्रु तो नहीं होते ?
करनी बुराई उनकी , नहीं क्या ब्यर्थ ही होते ??
मित्र बनाना आजकल , आसान इतना है ।
दबाकर बटन मोबाइल का,उधर से हामी पाना है।।
सामान्य रहना भी नहीं, आसान है होता ।
हर कठिनाइयों का सामना ,करना उन्हें होता।।
आज उन दोस्ती का कोई भी , मतलब नहीं होता।
स्वार्थ साधन का सुगम , एक रास्ता होता ।।
स्वार्थ गर सध गया हो , दोस्ती भी खत्म हो जाती ।
आप का नाम उनके लिस्ट से, डीलिस्ट हो जाती ।।
इन्टरनेट ने तो दोस्ती का ,कद ही बढ़ा डाला ।
संसार के हर देश तक , पहुंचा उसे डाला ।।
हर देश से ही आपकी , अब दोस्ती हो गयी ।
”बसुधैव कुटुम्बकम” भावना ,भी सत्य सी हो गयी।।
बहुत से देश में संसार के,आपका मित्र बैठा है।
अपने देश से नित भेजता , संदेश रहता है ।।
संदेश ही केवल नहीं, गीत ,संगीत आता है ।
वहां की संस्कृति और सभ्यता ,का बोध होता है।।