दो दांत होते हाथी का,एक दिखाने का एक खानेका।
रूपभी आदमीका दोहोता,एक शराफत काएकशैतानी का।
इन्ही दो प्रवृतियों के बीच,मानव जिंदगी चलती ।
जब जिसकी मात्रा बढ़ती, वैसी ही प्रवृति होती।।
अच्छी बुरी बातों को मन ही, जन्म देता है ।
यही तो काम है मन का, अपना काम करता है।।
मस्तिष्क सोंचता इस पर, सोंच कर फैसला देता ।
नियंत्रण तो इन्हीं का है, जो चाहता होता ।।
गुण तीनों भरे रहते सदा, हर मानव मस्तिष्क में।
प्रभावित पर वही करता ,हो जो सर्वोच्च मस्तिष्क में।।
आचार और बिचार तो ,मन में उपजता है ।
सतोगुण का अगर प्रभाव हो,तो उत्तम भाव होता है।।
बहुत कम लोग दुनिया में,जो दिल की बात कहते हैं ।
जो बातें बोलते मुख से , वही मन में भी रखते हैं ।।
जो मिथ्या बात करते हैं, जगत में कद्र पाते हैं ।
जनता पूजती उनको , सभी जयकार करते हैं।।
जिनका सत्य कथन होता ,जो करना चाहते कहते ।
उनकी बात को सुन लोग,मुंह मोड़ चल देते ।।
संख्या कम बहुत उनकी, पर वे ठोस होते हैं ।
जो बातें बोल दी उसनेे, पाषाण की लकीर होते हैं।।
अपनी बात पर रहते, मुकरना जानते नहीं ।
चाहे काल हो आगे , मुकर कर भागते नहीं ।।
बात फिर भी निकलती है, भले कुछ वक्त लग जाता।
समझ जब लोग जाते हैं,महा तुफान बन जाता ।।