अच्छे दिनों में मित्र का ,भरमार हो जाता ।
जिनका दरश तक था नहीं ,अब यार हो जाता ।।
देखते आप चाहें जिस तरफ ,जो मिलने आपसे आते।
परम हितैषी आप के , बतलाते नहीं थकते ।।
है कौन अपना आपका , पराया कौन आप का ।
यह जानना आसान नहीं , कठिन यह काम आपका।।
पहचान कर मन में धरें , कह व्यक्त न कर दें ।
दिल मे आपकी जो भावना, वही संयोग कर रखदें।।
अपनी जिंदगी की गूढ़ को , बस गूढ़ रहने दीजिए।
भूलवस इसको कभी मत , सार्वजनिक कर दीजिए।।
जानकर आप की कमजोरियां, लेने लाभ हैं लगते।
कुछ फायदा नाजायज , लेने में है लग जाते ।।
आजकल ब्लैकमेलिंग को ,नया धंधा बना देता ।
दिखाकर आपकी कमजोरियां , आपसे ऐंठने लगता।।
परम जो मित्र होते आज का, कब शत्रु बन जाये।
जड़ खोदने वालों का परम ,सहयोगी बन जाये ??
घर की भेदिया से कोई बड़ा , ना शत्रु है होता ।
जिनके घर में घुंस जाता , सत्यानाश कर देता ।।
ये आस्तीन का सांप तो ,हैं हर जगह मिलते ।
आपके साथ ही रहते सदा , पर दिख नहीं पाते।।
इन शत्रुओं का आक्रमण, बेजोर है होता ।
कब डंस लिया आभाष तक , होने नहीं देता ।।
जो संयम स्वयं पर रखते,सफलता भी वही पाते।
पाते कामयाबी वे , वही कुछ दिखा देते ।।