दुखे रग को हिलाने से , बहुत तकलीफ़ होती है।
आहत दिल को ,हल्की बात भी तकलीफ देती है।।
समय का फेर ही कहिये ,वही सब कुछ कराता है।
कभी कुछ जोक हल्का सा , खड़ा तुफान करता है।।
एक ही बात पर परिवेश से , मतलब बदल जाता ।
सुखद बातें बदल परिवेश में, कुछ और हो जाता ।।
कुछ बोलिये उसके कबल ,चिन्तन करें मन में ।
माकूल गर समझें , फिर क्यों देर करने में ??
हरगिज करें कोशिश नहीं ,किसी का दिल दुखाने का।
मतलब आप का केवल , अपना ईष्ट साधन का ।।
मृदुभाषी भी अपने आप में , एक गुण बड़ा होता ।
हदें जब पार कर जाये , यह पर ब्यर्थ न जाता ।।
दुखे रग को हिला कर लोग तो ,आनन्द ले लेते ।
पराये दिल दुखाने का , घृणित अपराध कर देते।।
नृशंस यह काम जो करते , बड़े वह मूर्ख हैं होते।
निन्दनीय स्वयं होते पर , निन्दा और का करते ।।
किसी का दिल दुखाने में ,मजा आता किसी को जब ।
दुखा उस मूढ़ को भी जब,सबक आकर सिखाये तब।।
निसक जो दिल से होते हैं , वही यह काम है करते ।
देकर दर्द औरों को , तड़पता देख उन्हें हंसते ।।
उन्हें जब स्वयं पर चूता , तभी महसूस होता हैं।
कितना दर्द होता है , तभी मालूम होता है।।