किसी से प्रेरणा मिलती .

कभी जब आदमी कुछ काम , करता या हो करवाता।

किसी की प्रेरणा होती , कभी ऐसा नहीं लगता ??

हरदम हर किसी मानव का , मस्तिष्क सोंचता रहता ।

यही है काम मस्तिष्क का , उसी में ब्यस्त ही रहता ।।

न जाने कौन देकर प्रेरणा , कुछ काम करवाता ।

असम्भव सा लगे जो देखने में,सम्भव करा देता ।।

सोंचा तक नहीं जिसने, उसे जागृत करा देता ।

टूटी हुई किश्ती से , सागर पार करवाता ।।

लगे ऊत्ताल लहरें आ, डुबोये बिन न छोडेगी ।

बिना आगोश में उनको लिये ,हरगिज न छोडेगी ।।

करिश्मा पर किसी का, कोई उसको पार करवाता ।

साहिल तक उसे मजधार से ,ला स्वयं पहुंचाता ।।

प्रेरणा कौन है देता , समझ में कुछ नहीं आता ।

कौई अदृश्य शक्ति हो ,नजर से कुछ नहीं दिखता ।।

किसी में चेतना कुछ भी , कोई जागृत कराता है।

चयन उस आदमी का कर , काम अपना कराता है।।

महज वह आदमी तो बस , कठपुतली हुआ करता ।

नचाता कोई उसको डोर से , वह नाचता रहता ।।

देता प्रेरणा कोई , मनुज भ्रम पाल लेता है ।

मैनें ही किया ये सब , नासमझ मान लेता है।।

दिया जो प्रेरणा उसको , न उसका ख्याल आता है।

स्रोत निकला कहां से वह ,उसे ही भूल जाता है ।।

शिकार हो जाता वहम का , कभी नहीं ढूंढ़ पाता है ।

दिशा से हो भ्रमित जो भी ,साहिल पा न पाता है ।।