अंत तय है जिन्दगी का,यह जानते तो लोग सब।
कथन को सत्य शत-प्रतिशत , मानते भी लोग सब।।
फहम में डालकर अपना कोई, उसमें बसा लेता ।
कुछ शुरुआत करने के कबल, उसे कर स्मरण लेता।।
तय है वह कभी सन्मार्ग से , भटक नहीं पाता ।
स्वयं तो चलता ही चलता , औरों को चला देता ।।
जो कहना जानते अच्छा , खुद पर कर नहीं पाते।
दिखाते लोग जो पथ ,खुद ही चल कहां पाते ??
प्रभावित कर वही पाता , गूढ़ को जो समझ पाता ।
दिशा से स्वयं जो भ्रमित , समझा वह नही पाता ।।
पथ के जो हों पारंगत ,वही कुछ कर दिखा पाते ।
चलते हुए निज मार्ग से , लोगों को चला पाते ।।
अकेला खुद निकल पड़ते ,पीछे लोग लग जाते।
बढ़ता कारवां उनका , हुए लम्बा चले जाते ।।
कुछ छंटते चले जाते , नित जुटते चले जाते ।
कारवां रुक नहीं जाता ,निरंतर ही बढ़े जाते।।
प्रवीण गर पथ प्रदर्शक हों ,मकसद तक पहुंच पाते।
पथ में आये चौराहे अनेकों, पार कर जाते ।।
ऐसे लोग कम बहुधा , बहुत ही देर से आते ।
हद से जब गुजरती है , तभी खुद अवतरित होते।।
आते जो यहां उनको , जाना तय सबों को है ।
खाली हाथ ही जाना , यहीं सब छोड़ जाना है।।
लगे क्यों लूटने में हो , सभी कूकृत्य भी करके ।
रह जायेगा सब कुछ यहीं, जाओगे हाथ मल कर के।।
दाता जो दिया तुमको , उसी में खुश रहो हरदम ।
दिखा दो कर्म कर ऐसा , सबों को लाभ दे हरदम ।।