जल्दी छुट कहां पाता.

जो रहते सावधान खुद ही, उन्हें खबरदार क्या करना।

हों बैठे स्वयं जो जागे, उन्हें परेशान क्यो करना ।।

जो हर मोड़ से वाकिफ , मानव जिंदगी का हो ।

उन्हे कोई पथप्रदर्शक की जरूरत ,ही कभी क्यो हौ??

जिन्हेंआदत मेंही होसावधानी,जरूरत सीखनेकी क्या?

किसी की बनी बनाई आदतें;कभी छूटती भी क्या ??

‘आदत है बुरी बला ‘, लोग सब जानता , सुनता ।

चाहता छोड़ना इसे जब कभी ,‌जल्दी छुट कहां पाता?

जो अच्छी डालते आदत, वे सुखमय सदा रहते ।

बड़े परेशानियों से मुक्त , वै जीवन जिया करते ।।

गलत आदत जो रखते पाल कर, दुख उन्हें होता ।

अपनी की गयी नादानियों का,फल उन्हें मिलता ।।

भले ही दोष देते अन्य को , पर सब लोग जानता ।

बनाये बात ये कुछ भी , कहां बिश्वास कोई करता ??

भरोसा स्वयं खो देता , गलत कह जो ठगा करता ।

खुलता भेद जब उनका, होना तिरस्कृत पड़ता ।।

गलत जो काम करता है, नतीजा वह गलत पाता ।

भले कुछ देर से मिलता ,अवश्य पर मिलता ।।

फल जब देर से मिलता , यही गफलत उन्हें होता।

सुने हैं देर होने से उन्हें , असंतोष हो जाता ।।

लालच , लोभ फिर उनपर , पकड़ अपनी बना लेता ।

गलत नव-प्रवृतियां उनमें ,‌ फिर जागृत करा देता ।।

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