जिगर में दर्द है होता.

नयन का तीर मत मारो, जिगर में दर्द है होता ।

कसम बेजोर है होती, दिल भी मचल उठता ।।

तुम्हारी हर अदाओं में , छिपा नश्तर हुआ होता ।

नजर भर देखता जोभी तुझे,चुभन उसको हुआकरता।

विधाता ने लगन के साथ, में तुमको बना डाला।

लगा अपनी कला सारी, करीने से सजा डाला ।।

लगाया कीमती चीजें,मंगाकर दूर से तुममें ।

कहीं से हुस्न मंगवाया , बिठाया था सभी तुममें।।

जहां भी चीज हो सुंदर, वही से उसने मंगवायी।

उचित स्थान पर उसने,लगन से उसको सजवायी।।

जवाब बस तूं ही तेरा , न कोई दूसरा जग में ।

ढूंढ कर हार हूं बैठा , मिला तुमसा नहीं जग में ।।

मुकाबला कौन कर सकता,और कोई है कहां वैसा?

जवाब बस तू ही है अपना,न कोई दूसरा वैसा।।

जन्नत शर्म से भागा , देख सौंदर्य को तेरा ।

छिपा जानें कहां जा कर, छोड़ धरती कोही तेरा।।

नाज रखते जो अपने आप पर,कभी जब हार जाते हैं।

हया से डूब जाते वे, छिपा मुख भाग जाते हैं ।।

किया है धन्य धरती को ,धर कर पैर धरती पर ।

आया बसंत ,तेरे पड़े जब पांव धरती पर ।।

धरा को छोड़ कर फिर से,जन्नत लौट मत जाना।

मुवारक हो तुझे धरती ,अब हरदम यहीं रहना ।।

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