आता नजर न कोई , आवाज दूं मैं किसको ।
सुनेगा कौन मेरा , दिखता न कोई मुझको ।।
बिलकुल हूं मैं अकैला , नजरों से दूर सब है।
आवाज दूं मैं किसको , खुद ही में ब्मस्त सब हैं।।
है वक्त कहां किसीको , सुनकर जो पास आये ।
रग दुख रहे जो मेरे , मरहम वहां लगाये ।।
है एक मसीहा ऐसा ,सब का वही है सुनता ।
जरूरतों की पूर्ति , हर का अकेला करता ।।
देखा न कोई उसको , देखा न कोई करता ।
लोगों का यह कथन है, कहे को लोग सुनता।।
गज ने था जब पुकारा, वह दौड़ कर था आया।
थक हारता था गज को , उसने ही था बचाया ।।
अनेकों कथाएं ऐसी , सबलोग कहते आये ।
रोचक कथाएं लगती ,सब लोग सुनते आये ।।
जब भी समय हो गाढ़ा , उनको बुलाओ , देखो।
आये जो आर्त सुनते , उसे आजमा तो देखो ।।
गहरी थी बात कितनी , कुछ आजमा तो पायें ।
सुऩें जो हैं बात कानों , आंखों तो देख पायें ।।
सुनकर न कर भरोसा ,खुद आजमा तो देखो ।
वैज्ञानिकों का युग है , जरा सिद्ध कर तो देखो।।
देता सबों को वह है , लेता न कुछ किसी का ।
उसके भरोसे चलता , सब काम ही सबों का ।।
ऐ विश्व का रचयिता , आओ जरा तूं देखो ।
ब्यवधान तेरे कामों , में हो रहा सम्हालो ।।