प्यार की गीत जो गाते , नहीं लाचार वे रहते ।
जोअहिंसा के पुजारी हों,कभी कमजोर न पड़ते।।
समझते जो इन्हें कमजोर, पड़े वे भूल में होते ।
असली हीरा भी उन्हें, शीशा नजर आते ।।
असली कनक को भूलवस ,नकली समझ लेते ।
पीतल को चमकता देख , कनक इनको समझ लेते।।
यह भूल तो उनकी नहीं , अपनी हुआ करती ।
इसपर सितम इल्जाम , उनके सर मढ़ी जाती ।।
अहिंसा का पुजारी प्रवल ,बापू स्वयं थे अपने ।
अंग्रेजों को भगा डाला , इसी हथियार से अपने।।
जिनके राज थे इतने बड़े, सूर्य हरदम जहां रहते ।
इनके किसी भू_भाग में ,चमका सदा करते ।।
काफी कठिन था काम यह , पर कर दिखा डाला ।
अस्त्र , अहिंसा ,सत्य का ले , उनको भगा डाला ।।
हृदय मजबूत था कितना, इन्होंने करके दिखलाया ।
ब्रिटिश सा शक्तिशाली को ,भगाकर इसने दिखलाया।।
असंभव लोग थे कहते , उसे संभव बना डाला ।
पडी हुयी बेड़ियां मां भारती को , तोड़ ही डाला।।
तुफान उठने के कबल जो ,शांति हुआ करती ।
बड़े तुफान का ही आगमन का , सूचक हुआ करती।।
जो होते शांत बाहर से, लिये ज्वालामुखी होते ।
पर जब फूट वे पड़ते , तो कर वे क्या से क्या देते।।