दिल प्यार का भंडार होता है.

दिलों को तोड़ने वाले,तो दिल को तोड़ देते हैं।

महज ही चन्द लम्हों में , इसे अंजाम देते हैं ।।

बहुत हें लोग दुनियां में,यही जो काम करते हैं ।

दे कर दर्द बदले में , सुखद एहसास करते हैं।।

भला चाहे कहें उनको, बुरा कह आप सकते हैं।

दिल जो चाहता कहना , उसे ही आप कहते हैं।।

ईच्छायें अनेकों आपकी , दिल में उपजती है ।

अनवरत रात-दिन दिल में,यही पैदा ही होती है।।

मस्तिष्क समझता बूझता , बिचार कर लेता ।

अच्छा लगे तो बात को , अन्जाम दे देता ।।

हर दिल समझ लें, प्यार का भंडार होता है ।

जिस प्यार पर आरूढ़ , यह संसार होता है ।।

अनेकों विकृतियां पर आ, इसे बर्वाद करती है ।

घृणा पैदा कराने में , लगी दिन-रात रहती है ।।

भला-बुरा का द्वन्द्व भी, हरदम चला करता ।

जब जिसका विजय होता, वही प्रभाव में आता।।

विकृतियों का विजय जब, दिलपर हुआ करता ।

कूकर्म की मनोवृत्तियां , तब जन्म ले लेता ।।

बराई में ही तब मनुज,संलग्न हो जाता ।

मनुष्यता तो हार उससे, भाग ही जाता ।।

मानव फिर तो मानव रूप का,केवल है रह जाता ।

पशुओं से बदतर काम में, संलग्न हो जाता ।।

हर जीव से यह जीव मानव, श्रेष्ठ होता है ।

उनका कर्म भी हर जीव से ,यथेष्ठ होता है ।।

मां-बाप का रोल होता है.

बच्चा चोर अपने आप तो, हरगिज नहीं होता।

मां-बाप का अहम, इसमें रोल है होता ।।

बनाकर चोर खुद संतान को ,फक्र किया करता ।

ऐसा बाप ही तो आजकल, अक्सर मिला करता।।

मां-बाप की चोरी जिसे , जिसे जन्म-जात से दिखता।

उसका पुत्र पारंगत , उस काम में होता ।।

वंश का परंपरागत गुण , प्रकृति स्वयं दे देती ।

इसको सीखने में श्रम , उन्हें करनी नहीं पड़ती ।।

इसको जानने खातिर, कहीं जाना नहीं पड़ता ।

बताने के लिये शिक्षक , उन्हें लाना नहीं पड़ता ।।

जरा खुद सोचिए यह प्रकृति , क्या काम करती है।

जन्म से पोषण -मरण तक , इन्तजार करती है ।।

बदले में किसी से बह कभी ,कोई ‘कर’ नहीं लेती ।

‘कर’की बात जाने दें , वही ब्यधान भी सहती ।।

प्रकृति के काम में बाधायें , डालना छोड़ दे मानव।

निजात सारी विकृतियों से , समझें पा लिया मानव ।।

सुचारू रुप से सिर्फ प्रकृति को, काम करने दे ।

जगत में आयी सारी विकृतियां,को दूर करने दे ।।

फिर तो स्वर्ग से हरगिज,धरा यह कम नहीं होगी।

समय पर कर्म सब होगें, न कोई आपदा होगी ।।

कभी पर आजमा कर देखनें में, हर्ज ही क्या है?

पता लग जाये तो पक्का, आखिर मर्ज ही क्या है??