जीवन तो केवल एक सपना

पंथ निहारत नैना हारे,फिर भी प्रिय तुम नहीं पधारे।

लुटगयी चैना ,मन बेचैना,जोहत बाट भर दिवस तुम्हारे।

दिवस ढ़ली,आगयी संध्या,है लगी चहकने पक्षी सारे।

कलरव की आवाज नजाने,क्योलगी छीनने चैन हमारे।

भर दिवस निकल गये चहल पहल में,बैठ महल के बालकनी में।

संध्या आयीअगन लगाई,याद सताई मेरे मन में ।।

पर तेरी आहट कहीं न मिलती,पल पल यादें मन को सलती।

लगी सताने यादें तेरी,,नित पंथ निहारा तेरा करती ।।

आ प्यारे,दिल तुझे पुकारे,थक गयी नैना ,रात हुयी।

कर देर न अब,मन मेरा हारे,बिन देखे बेचैन हुई ।।

धीरज भी अब टूट चुका है,प्यासा मन भी तड़प रहाहै।

आजा जल्दी देर न करना, बेचैनी से खोज रहा है।।

देर किया तो हाथ मलोगे,नयनों कीप्यास बुझान सकोगे

पल पल भी भाड़ी लगता है,हुई देर दरश तब झोदे न सकोगे।।

बस चले तो पंख लगाकर आजा,आसमान से उडकर आ जा।

हुई देर अगर तो व्यर्थ है आना,यही समस्या सोंचके आजा।।

दम नहीं निकलने दूंगी अपना,रखूंगी दम बांध के अपना।

आ जाये यमराज अगर,फिर भी काम करूंगी इतना।।

फिर भी तुम जल्दी ही करना,हार गयीतो फिर क्या करना।

कहा लोग अक्सर करतेहैं,यह जीवन केवल एक सपना।।

इस सपने का कौन भरोसा,पता न जाने टूट जाये कब।

सपना तो सपना ही होता,बुलबुला पानी का फूटजाये कब।।