आ गया बसंत

प्यारी कोयल ,तेरे चमन में , मधुर गीत गाने आ गयी ।

आ गया बसंत धरतीपर तेरी,संदेशा लेकर आगयी।।

हर जीव-जंतु,पेड़ों-पौधों पर,नशा तुम्हारी छा गयी।

बासंती रंग हर ओर धरापर,खुशियां बनकर आ गयी।।

मधुर मस्ती की मादकता, हर जन जीवन पर छा गयी।

मदहोशी का ही आलम, रग-रग में हर का समां गयी।।

उसपर कोयल तेरी मधुर तान , नशे को बढ़ा रही है।

उत्प्रेरक सा बनकर उसकी, मादकता चढ़ा रही है।।

आओ कोयल ,आओ गाओ,अरसे पर आयी हो ।

कहां गयी थी छोड़ धरा, कितनों को तड़पायी हो।।

आ गयी लौट फिर तुम जीवन में,मेरै मन की मनकी प्यास बुझा दो।

अतृप्ता की आग लगी है, आओ जल्दी इसे बुझा दो।।

छेड़ो अपनी मधुर रागिनी,ऐ स्वर्गलोक की आई चिड़ियां।

इन्तजार में लोग खड़े हैं,लगती भाड़ी पल पल घड़ियां।

भरा फूल का थाल लिये,स्वागत को धरती आज खड़ी।

अगवानी में खड़ी तेरी, बिछा पांवरे आज खड़ी ।।

ऐ बसंत तुम लौट न जाना ,धरती पर छाया रहना ।

सुकून सबों को मिलता तुमसे,कभी लौटकर मत आना।।

कोयल संगीत सुनाती रहना ,जाने अपनी भरती रहना।

है लोग सभी मस्ती में डूबे,हरदम साथ निभाती रहना।

ऐ बसंत गुणगान तुम्हारा,चाहे जितना कर पाऊं ।

जो भी होगा थोड़ा होगा , चाहे कहते धक जाऊं।।