जन्म-जात से कोई बड़ा, विद्वान न होता ।
जरूरी भी नहीं विद्वान पुत्र ,विद्वान ही होता।।
इसे तो करिश्मा कुदरत का , है कहा जाता ।
वरना गुदरी में छिपा लाल, कैसे मिल जाता।।
कब कहां,मिल जाये अचानक,समझ से जो पड़े होता।
कोयले के खदानों से , कभी हीरा भी मिल जाता ।।
देखते सब लोग पर, नजरिया फर्क है होती ।
सेव तो रोज थे गिरते , किसी को फर्क क्या पड़ती।।
न्यूटन ने जो देखा, सबों को वह कहां दिखता ?
देख ,उसने जो था समझा,समझ सब वह कहां पाता।।
जो गौतमबुद्ध ने देखा , देखा लोग सब करते ।
उसने देख कर सोंचा , लोग सोंचा कहां करते ।।
सबों को देखने और सोचने का,अलग सामर्थ्य होता है।
प्रकृति की देन कह सकते ,अन्य सब ब्यर्थ होता है ।।
कब किसी के दिल में, कुछ बात आ जाये ।
बातें भी सटीक ऐसी , कि चमत्कार हो जाये ।।
असम्भव कुछ नहीं होता, वक्त के हाथ सब होता।
वक्त जब साथ है देता , संभव स्वयं हो जाता ।।
कहते, पकी भी मछलियां , जल में तैर जाती है ।
कथन को झूठ न समझें ,बात हो सत्य सकती है।।
चमत्कार जितने हैं, सभी झूठे नही होते ।
जो दिल में बात न घुंसती , उसे चमत्कार कह देते।।
पहुंच से दूर जो होते, असंभव हम उसे कहते ।
अपनी हार को कहकर असंभव, हम निकल जाते।।