वक्त

हितैषी कौन है कबतक किसी का,कौन कह सकता।

पतंग कट कब गिरेगीआसमां से,कोई कहनहीं सकता।

चले जो डोर पर चढ़कर,छूने आसमां में तारों को।

हौगा हश्र क्या उनका , पता भी क्या बेचारों को।।

होगा क्या परिणाम उसका, कोई बता नहीं सकता ।

किसी को काट दे या खुद कटेगा, कौन कह सकता ।।

पता उसको नहीं इसबात की,नहीं सम्मभवउसै कहना।

यह तो समय की बातहै,इसे आसां नहीं कहना।।

गुब्बारे को उडाता जो पवन, जो छूता आसमां तक ।

उसे एक दिन गिराता ही नहीं,ला पटकताहै मही तक।।

वक्त ही सबकुछ कराता,किसी को मित्रया शत्रु बनाता।

होती वारदातें भी उसी से, वही जो चाहता, है कराता।।

स्थाई कुछ नहीं होता,न होता शत्रुता या मित्रता ।

समय कुछ भी करा देता,पता भी कुछ नहीं चलता ।।

खिलौना सब हुआ करता, खिलौना हाथ का उनका।

करे दिल खेलना या तोड़ना,जो जी करे उनका ।।

मर्जी जो उसे होती , वही वह काम है करता ।

मशविरा भी नहीं लेता किसी का, कुछ नहीं सुनता।।

किसी को क्या करा देना, सिर्फ उनको पता होता ।

समय पर पूर्ण कर देता, तो लोगो को पता चलता।।

वक्त में है बड़ी शक्ति , यही सब काम कर देता ।

करेगा कब किसै क्या-क्या,पता होनें नहीं देता ।।