हमारी हिन्दी का विश्व में, बढ़ रहा सम्मान हो ।
जब विश्वब्यापी हिंदी का, मिल रहा स्थान हो ।।
जब विश्व के हर कोने में, हिंदी का मान हो ।
फिर क्यो न हिंदी भाषियों को,गर्व का भान हो।।
फैलता जब जा रहा , हिंदी का कीर्तिमान हो ।
देता दुआ है मन मेरा , बढ़ता ही रहे शान हो ।।
हिंदी में बोल-चाल में ,गर्व का एहसास हो ।
इसकी सुगम मधुरतासे, श्रोताओं को मिठास हो।।
कर्ण-प्रिय सब का बने, ऐसा मधुर प्रवाह हो ।
स्वीकार सब का दिल करे, इस हिन्दी का मिठास हो।।
हिंदी बढ़े आगे बढ़े, सूरज सा किर्तिमान हो ।
इसी के आलोक में,चमकता रहे जहान हो ।।
प्रसार में जो लोग हैं , जयकार हो , जयकार हो ।
हैं प्रशंशा के पात्र ये , उनको भी नमस्कार हो ।।
मांगता हूं मैं दुआ , यह विश्व को रौशन करे ।
आभा निकल इसके सदा ,लोक आलोकित करे।।
सदा ही चमकता रहे अब , किर्तिमान तेरा विश्व में।
ज़ुबां से निकलता रहे , तूं हिन्दी पूरे विश्व में ।।
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