एक झोंका जिन्दगी को ही बदल देता

समय का एक झोंका, जिन्दगी का रुख बदल देता ।

नहीं देखा कभी जो रास्ता, उस पर चला देता ।।

जो चलना जानते तक थे नहीं ,उनको चला देता ।

छोड़ दें बात चलने की, उन्हें सरपट भगा देता ।।

देखा आपने होगा , या खुद ही सुना होगा ।

रूख झंझे का कभी तो , ह बदल देता ।।

कभी थे कालिदास , मात्र केवल एक लकड़हारा।

समय आया , उठा उनको , महा कवि ही बना छोड़ा।।

कृति उनकी युग-युगो से, आसमां में है चमकता ।

होते खुद अमर , जग को सदा प्रकाश नव देता।।

युग आये कितने आ चले गये,दे गये वे स्वाद पर।

न जानें आयें कितनी पीढ़ियां ,और लेने स्वाद पर।।

बाल्मीकि,अव्वल लुटेरा , लूटते थे लोग को ।

लूटकर लाते उसी से , करते भरण परिवार को ।।

आया समय का एक फेरा , झकझोर डाला वह उन्हें।

जो एक लुटेरा था महज,क्या से क्या बना डाला उन्हें।।

सोंच कर देखें जरा सा, उस समय के फेर को ।

नियति ने जो खेल खेला , करें गौर उनके खेल को ।।

इतना ही नहीं, औरों अनेकों, दृष्टांत तो मिल जायेगी।

घटनाएं बीती आप को , खुद बयां कर जायेगी ।।

जो समय का ध्यान देता ,निश्चित समय भी ध्यान देता।

कर्मकर जिसने दिखाया,उसका उचित सम्मान देता ।।

होती,हर क्रिया की प्रतिक्रिया, समान पर बिपरीत है।

बैज्ञानिको ने सिद्ध कर, दिखला दिया यह रीति है।।