मुक्तक

21/12/2019

(०१)

छलकते जाम आंखों से,जिधर नजरें फिरे उनकी।

नशा में धुत्त कर देती ,नजर जिनपर पड़े जिनकी।।

इरादा कातिलाना हैं,अदायें शोख भी उनकी ।

घायल कर चली जाती, जुरमी नजर उनकी ।।

(०२)

तुझे एक झलक जो देख लेता, खो कहीं जाता ।

हसीन ख्वाबों में बहक, जाने कहां जाता ।।

रहता होश में हरगिज नहीं, मदहोश है रहता।

दीवानगी की हदें सारी, पार कर जाता ।।

(०३)

श्रेष्ठतम हर चीज ही , खतरनाक होते हैं ।

जिनके पास यह रहती ,सदा परेशान रहते हैं।।

हिफाजत में इन्हीं के लगे, दिन-रात हते है ।

सुख चैन लुट जाती , बरबाद रहते हैं ।।

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