सहन करना ही पड़ता है

जहां में कौन नहीं, कांटों का चुभन सहता है।

कोमल गुलाब को , कांटों का दंश मिलता है ।।

बिरले हैं दुनियां में जिन्हें,सदा फूलों का सेज मिलता है

अक्सर कहां खुशनसीब ऐसा,सब किसीको मिलता है

जो जितना होते बड़े ,सहन उतनाही करता पड़ता है ।

जरूरत पर हलाहल पान भी,उन्हें ही करना पड़ता है।।

सहन करना उन्हें पड़ता , लोगों की भला की खातिर।

ईशू सा जान देकर भी भला , करना ही पड़ता है।।

बापू क्या लिया इस देश से,देकर ही गये केवल ।

पर बेवजह कुछ सिर फिरों का,सुनना ही पड़ता है।।

अच्छे काम की अच्छाई, सब के मन न भाता है।

बिच्छू को बचाने में, डंक सहना ही पड़ता है ।।

जमाना हो गया बेदर्द, हृदय पाषाण का लगता।

बेरहमी का सबों का खामियाजा,भुगतना ही पड़ता है।

दवा कोई तो दर्देदिल का , देता नहीं कभी भी ।

दर्द घुट-घुट सहें चाहे , सहन करना ही पड़ता है।।

आज आदत सी हो गयी है,शिकायत करने कराने की।

चाहे कोई कुछ कर दे,शिकायत आती ही आती है।।

भला करदे,बुरा करदे, मतलब यह नहीं रखता ।

आदत है शिकायत की,वही बस करनी पड़ती है।।

अधिकतर लोग ऐसे जो ,शिकायत ही जिन्हें आती।

पर सबों को साथ में लेकर, बढ़ना ही पड़ता है ।।