कश्मीर-जम्मु रह गया,बनकर खिलौना लोग का।
वरिष्ठ नेता दैश का, या समकक्ष वैसे लोग का ।।
भूल नेतागण किया ,सोंचा न ज्यादा दूर तक ।
खुद बात को हल्का लिया ,सोंचा नहीं गहराई तक।।
जिनको समझ थी बात की , बिरोध उन्होंने जताया।
दूर दिखती हुई समस्या ,प्रतिपक्ष भी उनको दिखाया।।
जो आकण्ठ जिद में लिप्त होते,सुनते कहा है औरका।
लाख दे कोई मशविरा ,सुनते न कुछ भी और का।।
जिद भी गजबकी चीज होती,घातक बड़ा हरलोग का।
ले डुवोता है उसे , नुकसान करता लोग का ।।
मस्तिष्क में जबभी जा घुंसे,यह रोग जिस इन्सान को।
नुकसान ही नुकसान करया,यह शत्रु उस नादान को ।।
आजादतो भारत हुआ था,फिर क्यो विभाजन देशका?
समस्त भारत एक था, टुकड़ा किया क्यों देश का ??
यह विभाजन चन्द नेता ,की नहीं क्या देन है ?
पाकिस्तानका बनना नहींक्या,उस साजिशीका अंग है?
तोड़ डाला देश को,हम बंट गये दो खण्ड में ।
तोड़ भी ऐसा दिया ,कि फिर मिले नहीं संग में ।।
विभेद कुछ ऐसा कराया,पैदा करा दी शत्रुता ।
लड़ता रहे यह सर्वदा , हो ही नहीं कभी मित्रता ।।
संसारके नक्शेमें फिर से ,भारत का अपना नाम होगा।
विश्वगुरु के रूप में ,फिर से पुनः विख्यात होगा ।।
आज भी इस देश का, कर्मठ कोई नेता बने ।
जिनमे भरा ईमान हो, ले देश को आगे बढे ।।
सत्पथ से जो खुद ही चले ,औरों को भी लेकर बढ़े।
जनता करेगी अनुशरण,फिर देश सोने का बनें ।।
यह कश्मीर अब फिर से बनेगा ,स्वर्ग भारत दैश का।
होगी जहां अनुभूतियां, धरती पे पूरे स्वर्ग का ।।