फूलों को गले लगायें ,पर वहां भी सावधानी से।
भरे होते जहां कांटे , ध्यान रखने ही पड़तै हैं।।
आंखें खोल कर रहिये , बिलकुल बंद मत करलें।
भरोसा कीजिए, पर ध्यान तो देने ही पड़ते हैं ।।
भरोसा कीजिए, भरोसेमंद पर, सावधानी बरत कर।
चलेगें बंद कर आंखें , ठोकर खा ही सकते हैं ।।
दिया है देनेवाले ने तुझे, आखिर दो दो आंखें क्यों?
यही कुछ बात को समझें,कारण कुछ हो ही सकते हैं।।
चुभन तो हर जगह होता ,गुलाब कांटे भरे होते ।
सम्हल पर तोड़ने वाले, मजे से तोड़ लेते हैं ।।
कहीं गर चूक हो गई तोड़ने में, गुलाब पौधे से ।
चुभ जायेगें काटे उन्हें भी, कहां बख्सते हैं ??
जो दिखते हर तरह सुंदर, सब की निगाहों से ।
खुनुस उनमें भी हो सकते ,जिसे छिपाये होते हैं ।।
धधकते दिल में हों शोले , चेहरे शांत पर दिखते ।
मन की बात को मन से , न बाहर जानें देते हैं ।।
खतरनाक होते हैं बड़े , कुछ शख्स वैसे जो ।
भीतरघात करने में, बड़े माहिर ये होते हैं ।।
बाहर के दुश्मन से तो कुछ , आसान होता है निपटना।
मुश्किल है निपटना जो , आस्तीन का सांप होते हैं ।।