(१)
जो आदत लग जाती जिनको, छोडे छूट नहीं पाती।
छोड़े भी चोरी चोर मगर, तुम्बाफेरी तो रह जाती ।।
होती ही आदत बुरी बला , लोग सभी हैं ये कहते।
इसे त्यागना कठिन बहुत है, जल्द नहीं जा पाती।।
(२)
कुकर्म सदा जो हैं करते , डींगें हरदम मारा करते।
पर सुकर्म करने वाले, बातें अधिक नहीं करते ।।
कहते बर्तन जो खाली होते, खनका अधिक वहीं करते।
ज्ञान भरा होता है जिसमें , गंभीर समंदर सा होते ।।
(३)
जो गंभीर समंदर सा होते , कुछ करके वही दिखाते हैं।
जो बातें अधिक नहीं करते , उन्हें राह न कोई पाते हैं।।
आसान समझना उन्हें न होता, जल्दी कोई समझ न पाते हैं।
पर जो दृढ़ , अंचल,अटल होते,जग में नाम कमाते हैं।।