मत कभी सुनाओ अपनें दुखड़े,मत दुख बांटो अपना ।
दुखड़ा देता न खुशी किसी को,फिर चर्चा क्या करना ।।
शुभचिंतक हो या नहीं ,किसी को सदा ब्यर्थ है कहना।
मन की बातें मन में ही रखते,कहकर भी क्या करना ।।
बांटो खुशियां शुभचिंतक को,खुश होगें वह सुनकर।
उनमें भी कुछ होगें वैसे , दुख होगा जिनको सुनकर।।
दूसरों की खुशियां से दुख पाते, ऐसे लोग न कम हैं।
सहन सुख दूजे का करने का , कितनों में यह दम है।।
मत्सरियों की कमी नहीं , बेहद संख्या उनकी है ।
जिधर देखिए, वहीं दिखेंगे ,उनकी संख्या इतनी है।।
फिर भी दुनियां चलती जाती , सोंच यही क्या कम है।
देखो जगवालों में भी ,उत्साह नहीं करता कम है ।।
बहुत लोग कम होते ऐसे ,जो स्वयं छिपा लैते दुख अपना।
दिल के अन्दर अवसाद भरा हो ,फिर भी बाहर से हंसना।।
नहीं भाव तक दुख का अपने ,चेहरे पर आने देते ।
नहीं शिकन भी वे मुखड़े पर , परिलक्षित होने देते।।
ये कलाकार न होते केवल , कर्मबीर हैं होते ।
प्रविण कला में सिर्फ नहीं , कुशल हर कर्मों में होते।।
कूट-कूट गुण भरा हुआ हो , सम्पूर्ण हृदय में जिनका ।
कितने महान वे होगें ,हृदय में हो दोनों जिनका ।।
दुनियां का इस रंगमंच पर , कुछ कलाकार ऐसे होते ।
जीवन में जिनका कष्ट भरा हो, हंसते और हंसाते रहते।।
जोकर जिनका नाम दिया,जो हंसते और हंसाते रहते ।
दुखी अगर हो जाते भी तो , जाहिर नहीं किया करते ।।