मत तोड़ फूलों को झटक कर

मत तोड़ फूलों को ,इस तरह झटक कर ।

कोमल बड़े ये होते , दर्द से सिहर जायेगें ।।

स्पर्श अपने कोमल करों का , प्यार से करते उन्हें ।

तो शायद टूटकर भी वह , निहाल हो ही जायेगें ।।

देता हो दर्द कोई तो , देनें की भी नीयत होती

हैं हार जो रखे पहन फूलों का ,उतारने तो पड़ही जायेंगे।।

खुशियाँ तो आती है हर किसी की , जिन्दगी में कभी न कभी।

पर ठहर पाती है कितनी ,इन्हें लौटने तो पड़ ही जायेगें ।।

जाना तो जाना ही है सबको, यह है सत्य -अटल ।

निकले जनाजा धूम से , पहचान थोड़ा बन ही जायेंगे।।

हो भी कोई गिला शिकवा , अगर आपको हमसे ।

निकाल दें कहकर उसे बाहर, वरना ये हरदम सतायेंगे।।

कौन करता है न प्यार, इन कलियों, फूलों,पंखुड़ियों को।

हृदय की भावना से अधिक कोमल ,पल में कुम्हला जायेंगे।।

फूल तो फूल ही होते , सबों के आँख का तारा ।

कभी बन आपका सेहरा , समाँ में रंग लायेंगे ।।

होता जिन्दगी का यह , अति विशिष्ट पल सब से ।

दुल्हे राजा कहकर लोग , कंधों पर बिठायेंंगे ।।

हो सवार घोड़ेपर ,कमर में , तलवार लटका कर ।

क्या है शान जीवन का ,मजा क्या खूब आयेंगे ।।

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