कुछ गाऊँ ,पर किसे सुनाऊँ , कौन सुनेंगा मेरा ?
सभी त्रस्त हैं खुद अपने में , गजब समय का फेरा।।
सुनने को तैयार न कोई, चाहे जो कुछ उसे सुना दो ।
खोल पेटारी भरा ज्ञान का , चाहे अपना वहाँ लुटा दो।।
लाख बुलाओ भरे प्यार से , देकर बहुत आवाज।
नहीं सुनेंगे फिर भी कोई , उनमें से कोई आज ।।
ध्यान न देगा बातों पर , अनसुनी कर देगा ।
मन ही मन में आपको, भरदम वह कोसेगा ।।
पर भरी नोट से पाकेट तेरी, अगर उसे दिख जाये ।
फिर तो सबकुछ छोड़ दौड़ वह,पास तेरे आ जाये ।।
बडे खुशामद से वह फिर तो , तेरा चरण दबायेगा।
मनगढी़ कहानी सुना -सुना, दिल को तेरा बहलायेगा।।
बडी लालची हो गयी दुनियाँ, हो गयी काफी लोभी ।
देकर मोटी रकम किसी से , करवा लें चाहे जो भी ।।
बिकने को तैयार सदा हो, बैठे ही रहते वे ।
ग्राहक आते दिख जाये तो, दौड़ पकड लेगें वे ।।
बहुत बचे कम ,थोड़े ऐसे , कभी न जो बिकते हैं ।
अम्बार मिले दौलत का भी , ईमान नहीं हिलते हैं ।।
लगता उनके सत्यबल से ही, दुनियाँ सारी चलती जाती।
आकण्ठ पाप में डुबो का भी , लिये बोझ बढ़ती जाती ।।
बहुत तमाशा होता रहता , दुनियाँ के इस रंगमंच पर।
दृश्य बदलते रहते हर दम,कोई कभी न रहता सदा मंचपर।।