सुन्दर आज जो भी देखते ,बस प्यार कर लेते ।
प्यार करते ठीक करते , कोई गुनाह न करते ।।
होता प्यार तो पावन, अति निर्मल हुआ करता ।
किंचित अंश अवगुण का ,नहीं इसमें हुआ करता।।
जो दुनियाँ बनाई है, भूखा प्यार का होता ।
कहते प्यार से आवाज दें, दौड़ा चला आता।।
प्यार में मोह का घुसना , बडा घातक हुआ करता ।
लगा यह स्वच्छ चादर पर, गहरा दाग हुआ करता ।।
चक्कर में पड़े जो मोह के, बड़े बदनाम वे हो गये।
पड़ कर मोह में नारद, थोड़े कुख्यात भी हो गये।।
जो फँसते मोह में जितना ,हृदय कलुषित किये लेता।
वो स्वयं अपने आप पर , आघात कर लेता ।।
मोह जब घुँसता हृदय में , इसे कब्जे में कर लेता ।
बडे ही प्यार से है फाँसता , दम ,बर्बाद कर लेता ।।
यह निर्मम हुआ करता , क्षमा भी कर नहीं सकता ।
अपनों पर असर इसका ,बड़ा बेजाड़ ही होता ।।
मोह को त्याग देना भी , नहीं आसान है होता ।
चक्कर से निकल जो गये ,बडा महान वह होता।।
ऐसे लोग जो होते , दुर्लभ बड़े होते ।
असंख्य लोगों में , महज एकाध ये होते ।।
हृदय खुद स्वच्छ होता है, बड़ा निष्पक्ष है होता।
मोह का आवरण ढ़क कर ,उसे बर्बाद कर देता।।
जितना हो सके बचिये , उतना लाभ ही होगा ।
कोशिश तो करें भर दम, नुकसान क्या होगा??