दिल से लगाया ही न होता.

काश दुनियाँ में किसी को ,दिल से लगाया ही न होता।

विरह की आग भी हमको, जलाया भी नहीं होता ।।

राग होता है जहाँ , द्वेष भी वहीं होता ।

शाम होती है जहाँ , सबेरा भी वही होता ।।

सुख होता है जहाँ , दुख भी वही होता ।

होते न साथ अगर दोनों, मजा जीवन का न होता।।

अजीब होती जिन्दगी , नजारा भी गजब होता ।

संबेदना सुख-दुख का , जीवन में नही होता ।।

मकसद भी मानव जिन्दगी का, कुछ हुआ करता।

सब जीव से मस्तिष्क ,अधिक विकसित हुआ करता।।

विकसित लोग हैं होते , तो विकसित काम भी होता।

हर जीव से हटकर ,अलग इन्सान है होता ।।

जिन्हें हर चीज प्यारी हो , तो मानव क्यों नहीं होगा।

ज्यादा भी नहीं हर चीज से, तो बराबर क्यों नहीं होगा।।

दिल जो हैं दिया करता , वही क्यो दर्द दे देता ।

अच्छी चीज भी बर्बाद , जानें क्यों किये देता ।।

दर्द देना था जरूरी , तो सहन की शक्ति दे देता।

समभाव में हरदम रहे की , युक्ति दे देता ।।

नहीं ऐसा किया जानें नहीं क्यों , रहस्य क्या उसमें।

समझ में कुछ नहीं आता , छिपा पर गूढ़ कुछ इसमें।।

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