सरदार पटेल बल्लभ भाई, सपना तेरा साकार हुआ।
ऐ लौहपुरुष तेरा शेष कर्म,लगभग वहभीपूर्ण हुआ।।
सुकून मिला होगा तुमको , तीन सौ सत्तर हट जानें से ।
माँ भारत की आँचल से,उस धब्बे को मिट जाने से ।।
यो समय बहुत ज्यादा लग गये, इन बातों को सल्टाने मे ।
थी सिर्फ कमी इच्छाशक्ति की,इस धरा को स्वर्ग बनाने में।।
करना माँफ मुझे माँ भारत ,बहुत बिलम्ब हुआ मुझसे।
क्षमायाचना करता हूँ ,करबद्ध हो कर मैं तुमसे ।।
एक भूल बहुत भाड़ी हमसबने ,नासमझी में कर डाली।
विलंब तेरी ईच्छा पूर्ति में , काफी हमने कर डाली।।
विलंब हुआ,हमें माफ करें, करबद्ध प्रार्थना करता हूँ।
क्षमा करें मेरी गुस्ताखी को,नम्र निवेदन करता हूँ ।।
तब समय नहीं लगना था ज्यादा,दो चार दिन ही था कफी।
पर समझ न पाये पंडित नेहरू, हालांकि थी गैर ईन्साफी ।।
थे पाँचसौबासट टुकड़े तब, सबको साथ मिलाया ।
इन टुकड़े को बाँध साथ एक, भारत देश बनाया ।।
अडचन कितने आये मग में , सबसे स्वयं निपटकर।
लौहपुरुष ने दम मारा था, भारत एक बनाकर ।।
उपर वाले को पडी जरूरत ,कुछ अड़चन था सुलझाना।
गये पटेल जी हमें छोड़कर, आया जब उन्हें बुलावा ।।
हमें छोडकर स्वर्ग गये पर ,कृपा न करना भूलें ।
समय विषम जब आन पड़े ,निर्देश न देना भूलें।।
Bahut badhiya kavita Sir…….nishchit yugpursh Sardar Ballabh bhayee patel ko khushi ho rahi hogi.
पसंद करेंपसंद करें
बहुत बहुत धन्यवाद ,मधुसूदन जी.
पसंद करेंपसंद करें