सरदार पटेल बल्लभ भाई, सपना तेरा साकार हुआ।
ऐ लौहपुरुष, तेरा शेष काम, लगभग वह भी पूरा हुआ।।
सुकून मिला होगा तुमको , तीन सौ सत्तर हट जाने से ।
माँ भारती की आँचल से, उस धब्बे को मिट जाने से ।।
यूँ, समय बहुत ज्यादा लग गये, इन बातों को सल्टाने मे ।
थी सिर्फ कमी इच्छाशक्ति की, इस धरा को स्वर्ग बनाने में।।
विलंब हुआ, माँ माफ करो, करबद्ध प्रार्थना करता हूँ।
क्षमा करो गुस्ताखी माँ, नम्र निवेदन करता हूँ ।।
तब समय नहीं लगना था ज्यादा, शायद दो दिन ही थे काफी।
पर समझ न पाये पंडित जी तब, निर्णय ले ली गैर-मुनाफी।।
थे पाँच सौ बासठ टुकड़े तब, सबको साथ मिलाया ।
इन टुकड़े को बाँध साथ एक, भारत देश बनाया ।।
अड़चन कितने आये मग में , सबसे स्वयं निपटकर।
लौहपुरुष ने दम मारा था, भारत एक बना कर ।।
जम्मू-कश्मीर की बची कहानी, थी बस पूरी होनी।
पण्डित जी की गलत पहल से, हो गई पर अनहोनी।।
संविधान के जिस धारे से, कश्मीर पृथक सा पड़ा बना।
आज इसे हट जाने पर, भारत भूमि कुछ पूर्ण बना।।
सपना है, अब जल्दी ही, बाकी कश्मीर जुड़ेगा।
भारत भूमि एक हो सच, जग का सिरमौर बनेगा।।
Bahut badhiya kavita Sir…….nishchit yugpursh Sardar Ballabh bhayee patel ko khushi ho rahi hogi.
पसंद करेंपसंद करें
बहुत बहुत धन्यवाद ,मधुसूदन जी.
पसंद करेंपसंद करें