(क)
चादनी अपनी दिखा तूँ, चाँद सब को फाँसते ।
अपना दिखा कर रूप नकली,भ्रम में सबको फाँसते।।
सच्चाई तो सबको पता,इसमें तेरा अपना नहीं कुछ ।
क्योँ मोहिनी का शस्त्र ले , डाका सबों पर डालते ।।
(ख)
दिल लगाना या चुराना ,हर आदमी की बात है।
निश्चित किये का फल मिलेगा, यह भी नहीं अज्ञात है।।
कर्तव्य जो अपना निभाते , निष्ठापूर्वक ईमान से ।
फल नहीं उनको मिले , यह असम्भव बात है ।।
(ग)
होता कठिन सच्चाई का पथ,.दुर्गम अति यह रास्ता ।
इस राह पर चलते उन्हें , भ्रष्टाचार से न वास्ता ।।
हर कदम जूझना , पड़ता उन्हें कठिनाइयों से ।
कलियुगी अभिशाप होता , आज है ये रास्ता ।।