ऐ मातृभूमि के बीर सैनिकों

ऐ मातृभूमि ,भारत की भूमि ,ऐ माते तम्हें प्रणाम ।

ऐ बीर सैनिकों, रणबांकुरों , तुझको को मेरा सलाम।।

तेरे कंधों पर भारत माँ का, है रक्षा का भार ।

तुम बडे़ प्रेम से इसे निभाते , जान रहा संसार।।

शांति के हम प्रवल पुजारी , किसको नहीं पता है ?

अपने शत्रु के प्रवल शत्रु हम , तुमको पाक पता है ।।

जाँबाजी की भरी कहानी , तुमको नहीं पता क्या ?

खाये मुँह की तुमने कितनी, यह भी भूल गये क्या??

लड़नें आते ,मुँह की खाते हो , भाग खड़े फिर होते ।

लातों का भूत सही में तुम हो, कर्म यही हो करते ।।

भला चाहते पाक अगर ,अब भी लौट चला जा ।

अपनी बुद्धि दुरुस्त करो , चुपचाप होश में आजा ।।

करता अपने सम्मान देश का ,है जान से ज्यादा प्यारा।

मेरे दिल को लगता हरदम , सब देशों से न्यारा ।।

बुरी निगाहें डाल न इसपर , धैर्य न मेरा टूटे ।

गया टूट गर धैर्य समझ लो , तेरी किस्मत फूटे।।

सर्वनाश तेरा होगा , बातों को जरा समझ लो ।

बहकावे में पड़ कर अपना, मत सब कुछ को खो दो ।।

मेरी धरती ही मेरी धरती , तेरी धरती तो तेरी ।

नीयत बिगाडी ,समझ हुई ,बर्बादी की तैयारी ।।

हम नहीं किसी का ले सकते , ना दे सकते हैं अपना ।

मेरी धरती को कभी हड़पने ,का देखो मत सपना ।।

वरना अपने सपना में भी तुम , खुद को मरते पाओगे ।

“भूल हो गयी मुझे बक्श दो “सपने में भी चिल्लाओगे।।

4 विचार “ऐ मातृभूमि के बीर सैनिकों&rdquo पर;

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