जो दिखता वही रहता नहीं , सुनता वही होता नहीं।
इन्द्रियाँ खाती जो धोखा , दिल को हजम होता नहीं।।
हाल दिल का है अजूबा , जो समझ से परे होता ।
इच्छाओं का होता जनक यह ,पैदा अनेंको नित्य करता।।
आँखें कभी जो देखती , दिल सोंच लेता और कुछ ।
सच्चाई तो कुछ और होती ,लगता उसे पर और कुछ।।
वहम उसको लोग कहते , पर यह शिकारी है बडा ।
इन्सान की इन्सानियत , पर घात करता है बड़ा ।।
वर्बाद कितनों को दिया कर , नित्य करते जा रहा ।
फँसना न कोई चाहता पर ,बच न कोई पा रहा ।।
मीठी जहर भी असर करती , पर प्रभाव होती देर से।
बदनाम करवाता तुरत , करता वहम नहीं देर से ।।
शिकार जो हो गये वहम का ,जिन्दगी बर्वाद हो गयी।
हर कदम आगे बढ़ाना , भी नहीं आसान रह गयी ।।
होती दोस्ती बर्वाद कितनी , इस वहम के फेर में ।
कितनी गयी है जिन्दगी, इस काल के कराल मे ।।
मजबूत कर ले दिल को अपने, वहम नहीं आ पायेगा।
घुँस चुके हों जो अगर , वह भी निकल कर जायेगा ।।
मजबूत दिल में यह कभी , प्रवेश कर पाता नहीं ।
प्रयास भी उसनें किया तो , रह वहाँ पाता नहीं ।।
संयम जो रखते आप पर , भटक वे पाते नहीं ।
जिन्दगी की राह से , वह उतर पाते नहीं ।।
आगे वही इन्सान बढता , कुछ कर दिखाता है वही ।
संयम जो अपना खो दिये , कुछ भी कर पाते नहीं ।।