दिल में जो कोई गम कभी , आकर बहुत सताये ।
बेरहम ,बेदर्द सा , बनकर बहुत रुलाये ।।
गमों को टालता तो सब ,इसे कोई क्यों गले लगाये।
टाले नहीं टलता पर कभी , बचता नहीं उपाये ।।
बेबसी कुछ भी कराता , क्या बेरहम है हाये ।
आता समझ में कुछ नहीं , सलटा भी कैसे जाये ।।
वक्त के आगे सभी , रहते बिवस ही लोग आये ।
देती है गुम कर हैंकडी , ठिकाने अक्ल आ जाये।।
वक्त चाहे जो करा दे , समझ तक इन्साँ न पाये ।
नृप बना दे रंक को , सर पर नजर तब ताज आये।।
हरिश्चंद्र सा नृप सत्यवादी , क्या नहीं वह कष्ट पाये ।
उतनें भले इन्सान से , काम मरघट का कराये ।।
अडिग निज पथ पर रहे , संकट तनिक ना डिगा पाये ।
कीर्ति है उनकी आज तक , धूमिल तनिक भी हो न पाये।।
दारुण-दुखों की दाह में , खुद भी अपनों को तपाये ।
दहकता -कुन्दन सी आभा , पा जगत में रंग लाये।।
चमक दुनियाँ में रहेगी , कीर्ति उन्होंने जो बनायी ।
धूमिल नहीं हो पायेगा , जैसी करिश्मा कर दिखायी ।।
ये महापुरुष जो दे गये , उन्होंने जीवन पथ दिखाये।
मानव चले इस राह पर , जीवन सफल अपना बनाये।।