ऐसे लोग हुआ करते.

बातें अनेक मानव तो मन मैं, सोंचा ही करता है ।

पर पूरा कितना होता ,समय ही बतलाता है ।।

बहुत लोग कम होते जग में , जो कहते पूरा करते ।

संख्या नगन्य उनकी होती ,पर जो होते काफी होते ।।

ऐसे लोग बहुत होते जो , लम्बी डींग भरा करते ।

करनी कुछ करते नहीं , बातें ही सिर्फ किया करते।।

पर बात बहादुर, राय बहादुर ,बहादुर अन्य हुआ करते।

अंग्रेज स्वयं तो चले गये , पर चमचे बहु मिला करते।।

बादल तो बहुत गरजते हैं , वे बरसा नहीं किया करते।

उमड़ा करते जो शाँत भाव से , बारिश वही किया करते।।

करनी जिनकी ओछी होती , ज्यादा शोर वही करते । कथन यह बहुत पुराना है , पर अक्षरशः सच लगते ।।

जिनमें खोट भरा होता, आडम्बर खूब रचा करते ।

अपनी डफली स्वयं बजा कर ,अपना गुणगान किया करते।।

समझने वाले खूब समझते , फिर भी कुछ तो फँस जाते।

बिछाये उनके जालों में, कभी गफललत में रह जाते ।।

गलत जो सदा किये करते , कभी तो खुद भी फँस जाते।

कथन सत्य है ‘काठ की हाँडी ‘ ,नहीं दोबारा फिर चढ़ते ।।

जब घड़ा पाप का भर जाता , समय का मार तभी पड़ता।

किसी रूप में आ कर अपना , पूरा किस्त चुका लेता ।।

2 विचार “ऐसे लोग हुआ करते.&rdquo पर;

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