तेरा मन भी चंचल ,नयन चंचल,, होगी न क्यों तुम चंचला।
चंचल निगाहें जुर्म करती , हो गजब की तूँ बला ।।
शोखियाँ जुल्फों की तेरी , करती बडी रंगरेलियां ।
चाँद सा मुखडे़ से करती , है चहक अठखेलियाँ ।।
जुर्म जुल्फों का कभी , जाता सहन को पार कर ।
नजरों के मेरे सामने , जाती लिपट है प्यार कर ।।
दिल पर गुजरता क्या मेरा , महसूस तो थोडा करें।
सम्हाले सम्हल पाता नहीं , लगता भला हम क्या करें।।
काँपता है रूह मेरा , इस दर्द से है कराहता ।
क्या करूँँ , हूँ सोंचता , दिखाता नहीं पर रास्ता।।
मन को दबानें के सिवा , आता नजर कुछ भी नही ।
सोंचता तो लाख बातें , फिर भी समझ पाता नही ।।
दिल को दबा रखना सदा , होता नहीं आसान है ।
बिष्फोट की सम्भावना का , होता सदा अनुमान है।।
पडता बचाना ,हर तरफ से , संवेदना से पूर्ण होता ।
चूक गर थोडी हुई, सम्हालना आसाँ न होता ।।
ऐ चंचला मैं चाहता हूँ , दूर न जाऊँ कभी ।
लाख खतरे झेल लूँ , तेरा साथ न छोड़ूँँ कभी।।
प्यार कहते हैं इसे या ,दिल की है कमजोरियों।
जो भी कहें , जैसा लगे , मेरे दिल की है मजबूरियाँ।।