कौन करता है यहाँ पर , कौन करवाता यहाँ ?
किसके ईशारे से जगत का ,हो रहा सबकुछ यहाँ।।
बिन किये होता नहीं कुछ ,बिन कराये भी न होता ।
है लगा दिन-रात कोई, करता वही या है कराता ।।
अदृश्य रहया है यहाँ, चुपचाप बैठा देखता ।
ईच्छा बिना उसके जगत का,पत्ता न किंचित डोलता।।
घटनाएं जो भी घटित होती ,सब मे उसी का हाथ होता ।
जैसे नचाता लोग को , नाचना उसको है होता ।।
ज्ञान दे ज्ञानी बना दे , धनवान दौलत दे बनाता ।
चाहता जब भी कभी, अंधे को सबकुछ है दिखाता।।
उस जादूगर के सामने , सम्भव सभी है काम होता ।
असम्भव जिसे हैं लोग कहते, वह क्षणों मे पुर्ण होता।।
ओझल सबों की दृष्टि से ,रहता नहीं पर दूर रहता ।
आप के ही पास क्या , आप मेंं ही वास करता ।।
कौन है या क्या है वह , देखा किसी ने तो नहीं ।
अटकल लगा ही सब बताते, अन्य कुछ करते नहीं ।।
शक्ति वो चाहे कोई हो , बनाता ,चलाता है वही ।
ढूँढना आसाँ.न उनको , जल्दी तो मिल पाते नहीं ।।
इन अटकलों की दौड़ में , दुनियाँ तो चलती जा रही ।
जो भी चला जिस मार्ग से , पहुँचती वहीं पर जा रही।।
निकाल सकता ढूंढ कर , मानव अगर जो चाह लेता ।
मंथन जो करता दूध को ,क्रीम उससे ढूंढ लेता ।।
कुछ भी असम्भव तो न होता ,है मनुज के सामनें ।
ठान ले गर आज दिल से , सबकुछ मिलेगा सामने।।