प्यार से देखिए चाहे जिसे , प्यारा नजर आता ।
नज़रें जिधर भी डालिये , न्यारा नजर आता ।।
नज़रिया हर की है अपनी , सबों की सोच अपनी है ।
अच्छा बुरा जो देखते, अपनी नजर की है ।।
बुरा कुछ भी नहीं होता , बुरा कोई क्यो बनायेगा ।
श्रम निर्माण करता का , नहीं क्या ब्यर्थ जायेगा ।।
जितनी चीज लगनी हो , सभी तो चीज लग जाती ।
बुरी चीजें बनाने में , उन्हें क्या चीज़ बच जाती ।।
यहां हर चीज अच्छी है, नजर का फेर पर होता ।
जिसै जिस ढंग से देखें , नजर वैसा उसे आता ।।
दिखाई जो जिसे देता , सदा क्या सत्य ही होता ?
मृग- मिरीचिका तो सर्वदा , असत्य ही होता ।।
अपनी नजर जो दिखती , करता सत्य ही दिखता ?
दिखे मरूभूमि में पानी सदा , असत्य ही दिखता ।।
नजर खाती कभी धोखा , बुद्धि फंस वहीं जाती ।
असत्य को ही सत्य ,बु द्धि मान है लेती ।।
नतीजा ही उलट जाता , फैसला गलत हो जाता ।
सत्य पर असत्य भारी , हो तभी जाता ।।
आंखें देखती उस बात को ही , सत्य कह देना।
नहीं संदिग्ध क्या लगता ,असत्य कह देना ।।
किसी को देखते ही फैसला, देना नहीं अच्छा ।
परख कर , जाँच कर दे फैसला , होगा वहीं अच्छा।।
उसकी अहमियत होती, मौत या जिन्दगी मिलती ।
अति गंभीरता से लें , जो जाती फिर नहीं आती ।।