सुरमयी आँखों मेंं तेरी , छलकता सा जाम देखा ।
अधखुली पलकों मे तेरी , मेरा लिखा ही नाम देखा।।
आती जुबाँँ पर आपकी , मैंने कभी ना नाम देखा ।
जुबाँ जिसे कभी कर न पायी , पलकों को करता काम देखा।।
दिल मे जगह थी जो मेरी , आता कभी बाहर न देखा।
दिल तो दबाये रह गया, करता ईशारा नैंन देखा ।।
प्यार का इजहार तो , सब लोग कर पाते नहीं ।
संग जिन्दगी के दफन कितने, हो गये पर कौन देखा??
गुमनाम ही मैं चल दिया , देखा भी जिसनें क्या किया ?
अश्क के कुछ बूँद भी , उनको अदा करते न देखा ।।
प्रेम ,पर एकांगी , करता हुआ कुछ लोग देखा ।
दिल तड़पता रह गया , हिलती जुबाँ उनकी न देखा।।
जिन्दगी अपनी हवाले, जब से तुझे मैनें किया ।
दूर बैठा जिन्दगी भर , अपलक तेरा ही राह देखा ।।
देखता रह जाऊँगा , नजरें ये देगी साथ जबतक ।
कैसे भला जा पाओगी , ख्यालों में हूँ जब कैद रखा।।
पाषाण भी जाते पिघल , जब प्यार की ताशीर से ।
तुमको पिघलता आज तक , भर जिन्दगी मैंने न देखा ।।
सुरमयी आँखों में तेरी ,छलकता सा जाम देखा ।
अधखुली पलको मे मै ,अपना ही लिखा नाम देखा।…