दिल में भरे गम या खुशी , आंखों ने छिपा ली होती।
राज तो राज ही रहता , गर जुबां फिसली नहीं हौती।।
गमों को दाबकर रखना , बहुत आसान नहीं होता।
खुशियों को नहीं बांटें , बड़ा परेशां किया करता।।
खुशी हद से अधिक ज्यादा ,या गम भी बहुत ज्यादा।
जाहिर किया करती छलक , आंखें अधिक ज्यादा ।।
मामला बड़े दोनों ही , संगीन हो गयी होती ।
अब्यक्त रखना भी , कठिन हो गयी होती ।।
यही जो जिन्दगी होती ,मिलती यही जीवन का मजा ।
लिया न लुफ्त हो जिसने ,समझा नहीं जीवन का फिजा।।
जो बौरा डूबते तह तक , रत्न कुछ खोज लेते हैं।
गूढ़ जिन्दगी जीने का , कुछ पा ही लेते हैं ।।
खुशी या गम ही तो , जीवन के दो किनारे है ।
गले मिला जो चले दोनों से , चतुर हैं न्यारे हैं।।
काश दोनों को , एक नजरों से ही देखी होती ।
खुशी या गम को , तरजीह बराबर दी होती ।।
आज का ये दिन , जीवन में न आया होता ।
गम भी तो आज नहीं , सताया होता ।।
खुशी या गम तो , जीवन के दो किनारे है ।
एक दूजे का , पूरक हैं, और सहारे हैं ।।
जिसने गम देखा नहीं , उसे खुशियों का एहसास कहां?
खुशी करता चीज है होती , सुनी है , महसूस कहां ??