मित्र सच्चा गर मिले तो , मित्रता अनमोल है ।
हीरे , जवाहर , मोतियों से ,अधिक इसकी मोल है ।।
बना नहीं अबतक तराजू , मित्रता को तौल दे जो ।
ना बाट इतना है बना , इसके वजन को तौल दे जो।।
बेजोड़ होती मित्रता , जोड़ इसका है नहीं ।
बराबरी इसकी जगत में , कोई कर सकता नहीं।।
मित अनेकों तो जगत में , पर श्रेष्ठ इनमें कौन है।
उतरे कसौटी पर खड़ी जो ,पवित्र पावन कौन है ।।
उपर बहुत मानव की श्रेणी , से रहा इन्सान होगा ।
मानव उसे कहना उचित क्या ,साक्षात वह भगवान होगा।।
कृष्ण-सुदामा की जगत में , दोस्ती मशहूर है ।
युग -युगों से आ रही , मिशाल ये बेजार है ।।
संसार में जब तक रहेगा , गाथा अमर उसका रहेगा।
जुबान पर हरलोग की , मिशाल बन छाया रहेगा ।।
मित्रता की बात होगी , लोग उसका नाम लेंगे।
क्या महत्ता दोस्ती की ,लोग इसको जान लेंगे ।।
लें लें अगर थोड़ा सबक , कल्याण होगा लोग का ।
इन्सान की इंसानियत , चमके गगंन में लोग का।।
आज ऐसी दोस्ती , जग में नहीं बदनाम होगी ।
कीर्ति अमर हो कर रहेगी , दोस्ती की शान होगी।।
अफसोस , किन्तु आज ऐसा , मीत कम मिलते यहां।
पवित्रता की पूट इसमें , अब कहां मिलता यहां ।।