दिल चाहता जिसे भूलना , भूल पर पाता नहीं ।
चाहूं, निकालूं और फेकूं , फेंक पर पाता नहीं ।।
ये दिल अनोखी चीज है ,यह चाहता करता नहीं ।
दिल में जगह देना न चाहा ,दिल से निकला ही नहीं।।
बन चुकी जिसकी जगह , दिल से तुरत हटता नहीं ।
हट भी अगर जो जायेगा ,चिन्ह पर मिटता नहीं ।।
जब भी दिखेंगी चिन्ह मुझको, याद तेरी आयेगी ।
जिसको था चाहा भूलना , यूं याद यह दे जायेगी ।।
आसान नहीं दिल से मिटाना , कोई मिटा पाता नहीं ।
दाब दें इसको भले , पर पूर्ण मिट पाता नहीं ।।
दिल की बनावट है यही , अबतक तो बदला है नहीं ।
अबतक न कोई पैदा लिया , आगे का कह सकता नहीं ।।
चाहे घृणा कि भाव हो , कुछ प्रेम का ही अभाव हो ।
या चोट गहरी दी गयी , उस चोट का ही स्वभाव हो ।।
घाव तो भरते रहेगें , समय का प्रभाव है ।
दर्द तो कमता रहेगा ,ये दवा का प्रभाव है।।
जख्म तो मिट जायेंगे , पर चिन्ह अपना छोड़ कर ।
दर्द भी कमता कभी पर , याद अपनी छोड़ कर ।।
यह ज़िन्दगी भर तक रहेगा , चिन्ह कभी मिटता नहीं।
गर जिन्दगी अगली मिलेगी ,कोई कह इसे सकता नहीं ।।
प्रेम नाजुक चीज है , दर्द सह सकता नहीं ।
चोट हल्की भी लगी तो , बेचैन कम करता नहीं ।।