दिल के जो बड़े होते , वहीं महान होते हैं ।
छोटे-बड़े सब लोग को , उचित सम्मान देते हैं ।।
प्रेम तो करते सबों को , कोई विभेद न करतें ।
भावना सब के लिये , बस एक ही रखते ।।
बड़े कोमल हृदय होते , मृदुल ब्यवहार वे करते ।
उनकी नजर में लोग सारे , एक हैं लगते ।।
सदा समभाव में रहते , कभी विचलित नहीं रहते ।
समभावना से दिल सदा , परिपूर्ण रहा करते ।।
हृदय में प्रेम की धारा ,अविरल ही बहा करती ।
सभी अपनें जिन्हें दिखते , पराया कुछ नहीं लगती।।
जिन्हें संसार क्या ब्रह्माण्ड ही ,अपना नजर आता ।
उन्हें जो कुछ नजर आता ,सब प्यारा नजर आता ।।
समाह्त सब हुए रहते , इनके दिल के कोने में ।
जगत की चीज सारी ढ़ूढ़ सकते , अद्भुत से कोनें में।।
जो समभाव में रहते , उन्हें दुख सुख नहीं होता ।
कोई अपना नहीं होता , न कोई गैर ही होता ।।
अपने पराये का न उनमें , भेद रह जाता ।
पराया जो लगा करते , अपनों में बदल जाता।।
शत्रुता भी जिन्हें होता , मिलते दूर हो जाता ।
उनके मधुर वाणी से , सब काफूर हो जाता ।।
ज़बान उनकी किया करती , प्रेम की बारिश सदा ।
जो श्रोता भींगते उनकी मिटाती , शत्रुता मन की सदा।।
दिल के जो बड़े होते , बड़ी हर चीज ही दिखती उन्हें।
लघुतम चीज भी अक्सर लघु , हरगिज नहीं दिखती उन्हें।।
तबज्जो दिया करते हैं बराबर ,फर्क न करते कभी ।
नीचा दिखाने का नहीं , प्रयास करते ही कभी ।।,