03/06/2019.
अ)
जिन्दगी जिसने दिया हो, खुशियां भी डाली है वहीं ।
प्यार वह करता सबों को , भेद कुछ रखता नहीं ।।
न्याय देता है सबों को , अन्याय तो करता नहीं।
संतुष्ट फिर भी लोग सारे , सर्वदा रहते नहीं ।।
ब)
विधायें सारी प्रकृति की , मानव समझ पाता नहीं।
प्रयास जो भरपूर करता, थोड़ा समझता है वहीं।।
अथाह है उनकी विधायें ,थाहना आसान नहीं ।
फिर भी इसे कुछ थाह लेते ,जवाब पर उनका नहीं ।।
स)
प्रकृति तेरी करिश्मा , से सभी अनजान हैं ।
कब कराते , कर्मों कराते ,रहता न इसका भान है।।
देखा किसी ने है नहीं , करता सभी अनुमान है ।
अटकलों की थोड़ा में , हर लोग ही परेशान है।।