बचपन कहाँ जा छिप गया.

बचपन कहाँ जा छिप गया,अब तो नजर आता नहीं।

कब गया और क्यूँ गया ,कुछ भी तो बतलाता नहीं।।

क्यों चले गये बिन बताये ,आता समझ में कुछ नहीं।

क्या चूक हुई हमसे बड़ी , गुस्से मे समझाते नहीं ??

भूल कुछ गर हो गयी , नादानी महज,कुछ भी नहीं ।

ना समझ दिल था बेचारा , बात को समझा नहीं ।।

क्यों खफा हो चल दिये , माजरा समझा नहीं ।

इतनी सजा क्यों दे दिये ,पल्ले ही कुछ पड़ता नहीं।।

रे बेवफा कुछ तो बताते , सुधार क्या पाता नहीं ?

ये टीस तेरी बेवफाई , की सहन होती नहीं ।।

तुम चले गये तो चले गये ,फिर लौट कभी क्या पाओगे?

लौट भी आये कहीं तो ,मुझसे कहाँ मिल पाओगे ??

समाँ बदल जायेंगे सारे ,मैं क्या यही रह पाऊँगा ?

पहचाना आसां नहीं , दोनों बदल जब जाऊँगा??

याद तेरी आयेगी ही ,जिन्दगी जब तक रहेगी ।

बेवफाई की कहानी , हमको सुनाते ही रहेगी ।।

मैं तडपता ही रहूँगा , याद में तेरी सर्वदा ।

जबतक रहेगा प्राण तन में ,तेरी याद आयेगी सदा ।।

तुम तो चले गये देख मेरा , आज कैसा हाल है ।

घूँट कड़वी जिन्दगी की , कर दिया बदहाल है।।

अश्क रुकता ही नहीं , त्याग जब से तुम गये ।

जिम्मेदारियों की बोझ से , हम सदा दबते गये।।

तुम बेरहम फिर भी न आते , सिर्फ तेरी याद आती ।

था जख्म दिल का भर रहा , कुरेद कर ताजा बनाती ।।

जो दुख मुझे तूँने दिया , दुश्मन को भी देना नहीं।

मीठा मधु पहले पिला , कड़वा कभी देना नहीं।।