.(क)
करे भला जो गैर का,अब मूरख वे कहलाते हैं।
जो माल पराया हथियाते,अब तेज वही कहलाते हैं।।
बदल गया अब, सोचने का ढंग ही समझो।
चोर,लफंगे, बेईमान अब,बडे बौस बन जाते हैं।।
(ख)
धूर्त और चांडालों से तो, लोग सभी डरते हैं ।
बडे़ उपाधी से नवाज कर,सम्मानित करते हैं ।।
सज्जन अब होते बेचारा ,उपेक्षित ही रहते हैं ।
भय बिन प्रीत नहीं होती ,लोग ठीक कहते हैं ।।
(ग)
सबकी नजरों में कीमत जिसकी,वही धनवान कहाता है।
नजरों से सबके गिर जाते,खोटा सिक्का बन जाता है।।
देख जिसे सब नजर फेरते,अनादर सब से पाता है।
जीवन भर खोटा सिक्का बन,मारा मारा फिरता है।।