ऐ जादूगर

ऐ जादूगर जादू तुम्हारा, छाया हुआ हर ओर है।
तेरी ही माया का करिश्मा,दिख रहा हर ओर है।।

जो देखती है आँख मेरी ,शायद नजर का फेर है।
नजारें दिखाई दे रही जो, रहती न ज्यादा देर है ।।

तुम बनाते तुम मिटाते , करते सदा यह खेल तूँ ।
कई बार तो कोई अजूबा, भी दिखाते खेल तूँ ।।

हर बात तेरी मन में मेरा,क्यों न जाने कौधती है।
दृश्य अजूबा कुछ दिखा ,मन को मेरा मोहती है।।

जो चाहते हो तुम दिखाना,बस वही दिखता मुझे है।
तुम बताते जो मुझे हो ,बस वही आता मुझे है ।।

जो तुम बताते मानता मन, पूर्णतः विश्वास से ।
पूरा असर अब मेरे दिल पर ,कर लिया अधिकारसे।।

वह भी तो बस अपनी खुशी से,दे दिया अधिकार है।
क्या जादू तेरा जादूगर , होता यही क्या प्यार है ।।

तूँने बनाई चीज सारी ,क्या हाथ की ही सफाई है?
जो बनाते झूठ सारी ,नजरों ने धोखा खाई है ।।

नित्य तो होता नहीं कुछ ,अनित्य ही हर चीज है ।
जो आज है मिट जायेगी कल,ऐसी ही सारी चीज है।।

तुम जो दिखाते हो हमें ,नजरें क्या धोखा खा रही ?
ये चीजैं सारी अनित्य है, नित्य नजर पर आ रही ।।

हम सब ठगे से हैं यहां ,सब झूठ है बेकार है ।
जो देखते सब ही ठगी है ,असत्य यह संसार है।।

ऐ जादूगर जब छल रहे ,तो क्यों बनाया था हमें।
क्या स्नेह से हमको बना,छलना पडा अब क्यों हमे।।

कोई शत्रुता तो थी न हम से,जिसका दिये परिणाम हो।
हमनें बिगाडा क्या तुम्हारा, लगाये क्या इल्जाम हो ।।

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